क्यों हुआ बाबा की दवा और दावे पर विवाद, क्या सही हो सकते हैं मरीज? Baba Ramdev

- बाबा रामदेव को उम्मीद थी कि उनकी दवा बाजार में आते ही धूम मचा देगी

योग और गुस्से का कोई तालमेल नहीं होता, लेकिन बाबा रामदेव कोरोना काल में बनाई गई अपनी दवा को लेकर उपजे विवाद के बाद गुस्से में आ गए। हरिद्वार स्थित पतंजलि संस्थान में प्रेस वार्ता में बोल पड़े कि
Baba Ramdev
उनके खिलाफ ऐसे एफआईआर दर्ज करा दी गईं जैसे किसी आतंकवादी के खिलाफ एफआईआर होती हैं। बाबा को यह नहीं कहना पड़ता यदि उनकी दवा और दावे पर कोई सवाल नहीं उठाता, लेकिन विवाद ऐसा हुआ कि बात एफआईआर से लेकर हाईकोर्ट तक पहुंच गई। दरअसल बाबा रामदेव ने ‘दिव्या कोरोना किट’ लांच की। इस किट में तीन तरह की डिब्बियां शामिल थीं। उनका दावा था कि उनकी दवाओं के सेवन से कोरोना नहीं होगा। दावा यह भी था कि वह इसे कई लोगों पर आजमा चुके हैं। दावा पूरे जोश के साथ किया गया था लिहाजा मीडिया में भी जमकर प्रचार हुआ।
          बाबा रामदेव को उम्मीद थी कि उनकी दवा बाजार में आते ही धूम मचा देगी। उनका प्रोडेक्ट कमाई के रिकार्ड तो तोड़ देगा। उन्होंने कहा भी था कि दवा सात दिनों में पतंजलि स्टोरर्स पर मिलेगी इसलिए उसके लिए हायतौबा न मचायें, लेकिन इस पर विवाद हो गया। आयुष मंत्रालय ने भी दवा के प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी और अपने स्तर पर वैज्ञानिक परीक्षण की बात की। अपने दावों को लेकर बाबा सोशल मीडिया पर भी ट्रोल हुए। इस बीच बाबा के खिलाफ राजस्थान के जयपुर में ज्योतिनगर थाने में एफआईआर लिख ली गई। नैनीताल हाईकोर्ट ने भी नोटिस देकर सरकार से जवाब मांग लिया। बाद में दावे से यूटर्न लेकर पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण की तरफ से कहा गया कि उन्होंने इसका दावा नहीं किया। उन्होंने इम्यूनिटी बूस्टर के लिए दवाई बनाई है। हालांकि बाद में आयुष मंत्रालय ने बाबा की दवा को कोरोना मैनेजमेंट की दिशा में अच्छा प्रयास बताया। वैसे बाबा के दावे के अलावा अभी तक कोई ऐसा प्रमाण सामने नहीं है कि लांच दवा के सेवन के बाद कोरोना पीड़ित ठीक हुआ हो। इसके लिए इंतजार करना होगा। आपको बता दें कि कल के रामकृष्ण यादव आज बाबा रामदेव हैं, हरियाणा के गांव से निकलकर उन्होंने फर्श से अर्श का सफर तय किया। पतंजलि संस्थान के प्रोडेक्ट्स का कारोबार अरबों में होता है। रामदेव का असली नाम  

टिप्पणियाँ