कोरोना ने सफाई से जिंदगी जीना भी सिखाया है


वैसे तो आपका और हमारा जीवन पहले से ही जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण से घिरा हुआ है, इसके निकलने के
कोई खास प्रयास नहीं किये जाते, लेकिन अब कोरोना वायरस ने डर का माहौल पैदा कर दिया। हालांकि यह वक्ती है स्थायी कुछ भी नहीं। इस बहाने ट्रेनों के तकिए, कंबल, चादर, सीटें और रोडवेज बसें साफ हो जाएंगी। होटल-रेस्टोरेंट की टेबल-चेयर और मैन्यू कार्ड साफ हो जाएंगे। सार्वजनिक जगहों पर किन्हीं नेताजी के आने से पहले वाली सफाई दिखेगी। इंसानियत की दुहाई देने वाले सभ्य समाज में सबसे पहले लोग मुनाफा देखते हैं। चीजों को ब्लैक कैसे किया जाना है, रेट कैसे बढ़ाये जाने हैं वह अच्छी तरह से जानते हैं। पैसा चाहिए कैसे भी, किसी की जान की कीमत पर भी। इस तरह के विपरीत हालात होने पर ज्यादातर लोग बचने को घरों पर ही रहते हैं। हालात जैसे भी हों, लेकिन स्वास्थ्यकर्मी, मीडियाकर्मी और पुलिसकर्मी हर सूरत में अपना काम करते हैं। अपनी सेहत को सरकार या उसके विभागों के भरोसे कतई न रहने दें। सबसे पहले बेवजह के डर और अफवाहों से बचें, खुद डॉक्टर न बनें और साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें फिर कोरोना हो या अन्य कोई खानदानी वायरस आपसे दूर ही रहेगा। वैसे वायरस हमें जिंदगी जीने की वह नैतिक शिक्षा देकर जाएगा कि हमें वास्तव में कैसे रहना चाहिए। कैसे साफ-सफाई रखनी चाहिए। प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।

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