ऑनर किलिंग एक खूनी सिलसिला

क्या कोई पिता अपनी ही बेटी के सिर को काटकर धड़ से अलग कर सकता है, क्या कोई भाई अपनी बहन को गोली से उड़ा सकता है? क्या कोई माँ बेटी के खून से हाथ रंग सकती है? क्या लोग किसी को सरेआम फांसी पर लटका सकते हैं? यह सवाल तुगलकी है, लेकिन इस दिल दहला देने वाली हकीकत का आइना अक्सर देखने को मिल रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश ओर हरियाणा में पुलिस के रोजनामचे में सैंकड़ों कत्ल ऐसे दर्ज हैं जिनकी मौत के परवानों पर अपनों ने ही दस्तख्त कर दिये। प्रेमी युगलों के नसीब में मौत दर्ज करने वाले अपने ही होते हैं। प्रेम करना गुनाह है क्योंकि पुरातन मान्यताएं, संस्कार ओर परंपराएं इसकी इजाजत नहीं देती। समाज के ठेकेदार कबिलाई अंदाज में कानून को ठेंगा दिखाकर चौंकाने वाले फैंसले देते हैं। खूनी खेल खेलते वक्त उन्हें कानून का डर नहीं सताता। प्रेमी युगलों की हत्याएं यूं तो समाज में कथित इज्जत को बचाने की खातिर की जाती हैं, लेकिन क्या कत्ल कर देने से इज्जत बच जाती है? इस सवाल का जवाब कई वर्षों की पत्रकारिता में मैं खुद भी नहीं खोज पाया। प्रेमियों के सिर पर मौत का साया कुछ इस कदर मंडराता है कि वह जान बचाये घूमते हैं। प्रेम का सिलसिला मौत की दहलीज पर जाकर खत्म होता है। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने ऑनर किलिंग को राष्ट्र के लिये कलंक बताने के साथ ही ऐसे मामलों को दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में रखकर आरोपियों को मौत की सजा दिये जाने की वकालत की। कहा कि इस प्रथा को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए यह जरूरी है। इज्जत के नाम पर हत्या करने या योजना बनाने वालों को यह मालूम होना चाहिए कि फांसी उनका इंतजार कर रही है। अफसोस खूनी सिलसिला जारी है.......
-अपने ही करते हैं अपनों का कत्ल -इज्जत की खातिर होता खूनी खेल

afsos hai sir yese logon ko saja milne he chaheye.
जवाब देंहटाएंvastav me ye dukhad hai .sarthak post aabhar
जवाब देंहटाएंright article sir ji.
जवाब देंहटाएंright article sir ji.
जवाब देंहटाएंafsos hai yese samaj par jo peyar ke naam par khoon tak kar deta hai.
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