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पत्नी के टुकड़े करने वाला ये इंसान तो नहीं है.... -इंजीनियर बना सबसे बड़े क्रूरतम कत्ल का वारिस -बेखौफ कहता है वह‘मार दिया,तो अब सजा दो’ -खूब चटक रही है पति-पत्नी के रिश्तों की बुनियाद उस शख्स की उम्र 37 साल है। दिल्ली यूनिवर्सिटी का टॉपर है ओर पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर। बातचीत का अंदाज भी रईसी और पढ़े-लिखों वाला है, लेकिन दिल्ली से अमेरिका की नामी कंपनी,कलकत्ता व देहरादून तक का सफर कर चुके इस शख्स के दामन पर अपनी प्रेमिका से पत्नी बनी अनुपमा गुलाटी के खून के इतने दाग लगे हैं जिन्हें कानून के आर्यभट्ट भी नहीं मिटा सकते। हैवानियत व दरिंदगी की हर हद को उसने लांघा। किसी ने सोचा भी नहीं था कि पढ़ाई के बल पर ऊँचें ओहदे पर पहुंचा राजेश गुलाटी देश के सबसे बड़े क्रूरतम व सनसनीखेज मर्डर का वारिस बन जायेगा और इस बहस का पुख्ता सुबूत भी कि पति-पत्नी के रिश्ते की बुनियाद आधुनिकता की चकाचौंध में किस कदर चटक रही है। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक ज्योति स्वरूप पांडे, आईजी राम सिंह मीना व एम.ए.गणपति तक हैरान हैं कि वह कभी इतने भयानक हत्याकांड से रू-ब-रू नहीं हुए। राजेश ने न सिर्फ अपनी पत्नी का कत्ल किया...
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बलात्कारी तांत्रिक करोड़ों का वारिस -नाबालिग से लेकर महिलाएं तक होती थीं शिकार,   -अंधभक्तों से कमायी करोड़ों की दौलत -अय्याशी के बाद अबॉर्शन कराने जाता था अस्पताल उजली सीरत वाले 45 साल के उस शख्स को अंधविश्वास में डूबे उसके हजारों भक्त बंगाली बाबा उर्फ नदीम खादिम उर्फ मेहंदी हसन व जावेद आदि नामों से जानते थे। भक्तों की उसके यहां कतारें लगती थीं। यह शख्स इंसान के रूप में हैवानियत की हदों को लांघता था कुछ इस तरह कि इंसानियत भी शर्मसार हो जाये। उसकी गंदी नजरे लड़कियों व रईस घरों की औरतों के जिस्मों को भेदती थीं। तंत्र-मंत्र की आड़ मंे वह अय्याशी का घिनौना खेल खेलता था। मजबूरियों का फायदा उठाकर वह मौत और बर्बादी का खौफ दिखाता था। लड़कियां उसके लिये महज मनोरंजन का साधन थीं। यूं तो इस पापी ने आधा दर्जन से ज्यादा बेगुनाह लड़कियों को नापाक किया, लेकिन बेगैरती की इंतहा देखिए। इस पाखंडी ने अड़चनें दूर करने व तालीम देने के बहाने से एक परिवार को अपने शिकंजे में ले लिया। इस परिवार की तीन सगी बहनों को उसने अनगिनत बार अपनी हवस का शिकार बनाया। सभी बहनें तब से उसका शिकार होती आ रही थीं जबसे वह नाबालिग ...
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दागदार नेताओं का ‘गन’ तंत्र’ यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का ‘गन’ तंत्र है। राजनीति का आरामदायक महल। जो कदम जेल की दहलीज पर होने चाहिए वह लोकसभा व राज्यसभा में चहलकदमी करते हैं। जिन हाथों में जंजीरें होनी चाहिए वह जनसेवक बनकर जनता की तकदीर लिख रहे हैं। उनका अच्छा-बुरा हर कदम कानून व संगीनों के साये में महफूज है। देशी-विदेशी हथियारों से उन्हें बेपनाह मोहब्बत है। कड़वी हकीकत ही सही, लेकिन देश की दागदार व पाक-साफ होती जा रही खादी की सुरक्षा का खर्च 100 करोड़ से भी ज्यादा है। राजनीति में दबंग माफिया, अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह, बाहुबली, हिस्ट्रीशीटर, रासुकाधारी व छुटभैये अपराधी भी हैं। उनके खाते में लूट, हत्या, डकैती, बलात्कार जैसे जघन्य अपराध भी दर्ज हैं। सत्ता सबको चाहिए-कैसे भी, किसी भी कीमत पर। मतदान का आगाज व अंत हिंसक होता है। चुनाव आयोग के पसीने भी छूट जाते हैं। चुनावी लाभ के लालच में राजनीति का अपराधीकरण परपंरा बना, परन्तु देश के लिये चुनौती ओर गंभीर समस्या बन गया। डंके की चोट पर कह सकते हैं कि हथकंडों के बीच अपराध, अपराधियों, भ्रष्टाचार और राजनीति में चोली-दामन का साथ है। पं...
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30 साल से जंजीरों में कैद स्वर्ग की एक जिंदगी कश्मीर की वादियां सुकून देने वाली होती हैं, लेकिन चुन्नीलाल की जिंदगी 30 साल से जंजीरों में कैद है। शहतूत के एक पेड़ से भी जैसे उसका अटूट बंध्न हो गया है। मौसम साल दर साल कई रंग बदलता है परन्तु बदनसीबी का पेड़ सदाबहार हो चुका है। कोई ओर होता तो दामन झटक देता, लेकिन चुन्नीलाल की पत्नी वैष्णों ने त्याग, समर्पण ओर मोहब्बत की मिसाल कायम की। पति के अर्द्वविक्षिप्त होने के बाद भी उसने चुन्नीलाल को नहीं छोड़ा। मेहनत मजदूरी करके किसी तरह बच्चों को बड़ा किया ओर उनकी शादियां भी कीं। पति की सेवा करने में भी वह कोई कसर नहीं छोड़ती। चुन्नीलाल को जंजीरों की कैद से आजाद करके वह उसे सेना या आतंकवादियों की गोलियां का शिकार नहीं बनवाना चाहती। वह आजाद घूमा तो किसी का भी शिकार हो सकता है। तमाम मुसीबतों के बीच वैष्णों आज भी अपनी हिम्मत की इबारत लिख रही है- (मनोहर कहानियाँ जुलाई अंक में प्रकाशित रचना के चंद अंश)-’जम्मू-कश्मीर के अधिकांश गांवों के लोग पौ फटते ही जग जाते हैं ओर सूरज ढलने के साथ ही अलसाने लगते हैं और......
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इज्जत ने बनाया बेटी की कोख का कातिल उत्तर प्रदेश में मोहब्बत की दुश्मन कही जाने वाली जुर्म की पथरीली जमीन व प्रेमी युगलों को मारने के लिये बदनाम उत्तर प्रदेष में मु.नगर की सरजमीं पर मानव व दीपिका के बीच एक इंस्टीट्यूट में कोचिंग के दौरान पहले दोस्ती ओर फिर प्यार हो गया। अलग-अलग जाति के चलते परिजनों ने इसका विरोध किया, लेकिन दोनों ने विवाह कर लिया। इसके बाद दीपिका के परिजन उसके दुश्मन बन गए। उसे कड़े इम्तिहान के दौर से गुजरना पड़ा। एमबीए व एयर होस्टेज का कोर्स कर चुकी व एक मल्टीनेशनल कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी कर रही दीपिका की कोख में बीटेक/एमबीए कर चुके व एक्सपोर्ट हाउस में सर्विस कर रहे मानव की मोहब्बत की निशानी पल रही थी। दीपिका के परिजन उसे धोखे से अपने साथ ले गए। उन्होंने मानव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का मारपीट करके दबाव बनाया जब वह नहीं मानी, तो एक महिला चिकित्सक से मिलीभगत करके उसे गर्भपात कराने की दवा पिलाकर इंजेक्शन लगवाये गए। हकीकत का भान होते ही वह अस्पताल से भाग गई। मानव ने उसे एक संस्था की मदद से अस्पताल में भर्ती कराया। दो दिन में दीपिका ने बहुत कुछ देखा। अपना माय...
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मौत की दहलीज पर खत्म मोहब्बत का सफर -प्रेम के परिंदे मारकर मिली 5 को फांसी की सजा -हरियाणा कैथल का बहुचर्चित मनोज-बबली हत्याकांड ** मनोज व बबली एक ही गांव के रहने वाले थे। उनका गौत्र भी एक ही था, लेकिन दोनों के जवां दिल एक-दूसरे के लिये धड़के ओर उनके बीच मोहब्बत हो गई। बंदिशों के बावजूद उसमें कोई कमी नहीं आयी। अपनी दुनिया बसाने के लिये दोनों घरों से भाग गए ओर शादी कर ली। परिजन उनके खून के प्यासे बने, तो उन्होंने अदालत से सुरक्षा मांगी। अदालत ने उन्हें सुरक्षा भी दी, लेकिन बबली के परिजनों ने दोनों का चलती बस से अपहरण किया ओर बेहरमी से दोनों को इज्जत की खातिर मौत के घाट उतार दिया। मनोज के परिवार का पंचायत के तुगलकी फरमान पर सामाजिक बहिष्कार हो चुका था बावजूद इसके उन्होंने न्याय की लड़ाई शुरू की। 33 महीने चली अदालत की कार्रवाई के बाद आखिर अदालत ने ऐतिहासिक फैंसला सुनाया ओर प्रेमी युगल के अपहरण के हत्या के आरोपियों में से 5 को सजा-ए-मौत, पंच को उम्र कैद व एक अन्य को भी सजा सुनायी। बदनाम होती खाप पंचायतों को सबक सिखाने का काम पहली बार हो सका परन्तु वह आज भी इस फैंसले के खिलाफ हैं। सजा-ए-म...
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जल्लाद भी खुश हो गया आतंकी  कसाब की फांसी से *आतंकी पर अब तक 36 करोड़ खर्च हुए, *राक्षस को जिंदा रहने का मिलेगा सालों मौका, *1 अरब से ज्यादा हो सकता है दुष्ट पर खर्चा, *जल्लाद बोला सरेआम होनी चाहिए फांसी 166 बेगुनाह लोगों की मौत व 350 को घायल करने का षडयंत्रकारी आरोपी खूंखार आतंकी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को फांसी होने से केवल वही लोग खुश नहीं है जिन्हें उसने कभी न भरने वाले जख्म दिये हैं बल्कि उसे फांसी देने के इंतजार में बैठा देश का इकलौता जल्लाद भी खुश है। उसकी दिली ख्वाहिश है कि वह जालिम दहशतगर्द को बहुत जल्द फांसी पर लटकाकर कुछ सेकेण्ड में ही उसकी सांसों की डोर को तोड़ दे, लेकिन अफसोस! भारत में ऐसी व्यवस्था आतंकवादियों के लिये नहीं है। देश के 70 फीसदी से भी ज्यादा लोग पाकिस्तानी राक्षस या यूं कहंे आतंकवाद की हांडी के सड़े हुए ‘एक चावल’ कसाब को नाम व शक्ल से जानते हैं। इसे विशेष अदालज के माननीय न्यायाधीश एम.एल. तहलियानी देश को आर्थिक चोट हमले से भी मिली ओर कसाब से भी। क्योंकि इस कसाब पर अब तक सरकार के 36 करोड़ रूपये खर्च हो चुके हैं। उसे सुविधाओं के बीच जिंदा रखना मजबूरी जरूर है...
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बंदूक वाले मास्टर जी उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में नरभक्षी गुलदारों, तेंदूओं ओर बाघों का आतंक कोई नई बात नहीं है। बच्चों व बड़ों को वह अपना शिकार बनाते रहते हैं। लखपत सिंह रावत पेशे से शिक्षक थे। उन्हें सपनों में भी बच्चों की चीखें सुनायी देती थीं। वर्ष 2000 में उत्तराखंड का चमोली जिला नरभक्षी गुलदार से आतंकित हुआ, तो बड़े-बड़े शिकारी आये, लेकिन नरभक्षी इतना चालाक हो गया कि दो साल तक वह मारा नहीं जा सका। वह 12 बच्चों का अपना निवाला बना चुका था। तब लखपत सिंह ने सरकार से जिद करके नरभक्षी को मारने का परमिट लेकर कलम थामने वाले हाथ में बंदूक ली और उसे मार गिराया। इस शिक्षक ने मौत से सामना करने के लिये बंदूक थामी तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब तक यह शिक्षक उत्तराखंड के चमोली, टिहरी, पौड़ी, चंपावत, बागेश्वर, रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी व देहरादून आदि जिलों में दर्जनों नरभक्षियों को मार चुका है। उन्होंने नरभक्षियों पर शोध भी किया। उनके असामान्य व्यवहार के कारणों को जाना ओर लोगों को बचाव के उपाय भी बताये। लखपत सिंह को आज लोग बंदूक वाले मास्टर के नाम से जानते हैं। (पूर्ण कहानी मनोहर कहानियाँ के अप्रैल...
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खाप पंचायत ने पति-पत्नी को भी बना दिया भाई-बहन दुनिया की तमाम हलचल से बेखबर दस महीने का मासूम रौनक गहरी नींद के आगोश में था। इसके विपरीत कविता के मन में तूपफान उठ रहा था। एक ऐसा तूफान जो शांत होने का नाम नहीं ले रहा था। वह ऐसे भंवर में उलझी हुई थी जिससे वह निकलना चाहती थी। यह भंवर था वक्त और उसकी जिंदगी। सुहागन होकर भी वह खुद को विधवा महसूस कर रही थी। उसके दिल-ओ-दिमाग पर शादी से लेकर खाप पंचायत के फैसले की यादें रह-रहकर ताजा हो रहीं थीं। नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी। कभी वह रौनक को देखती तो कभी शून्य को निहारने लगती। यह सिलसिला घंटों चलता रहा। वह खुद को दुनिया की सबसे बदनसीब विवाहिता समझ रही थी। सामाजिक व्यवस्था, पुरातन मान्यता व गोत्रा विवाद ने उसे ऐसा झटका दिया कि जिस पति के साथ वह ढाई साल से सुखद वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही थी उसी पति के साथ उसका रिश्ता भाई-बहन का बना दिया गया। जो सतीश कल तक रौनक का पिता था वह मामा बन गया। पंचायत का फरमान भले ही तुगलकी ओर दिलों को कभी न भरने वाले जख्म देने वाला था, लेकिन सामाजिक बहिष्कार के डर से उसे मानना सभी की मजबूरी थी। कविता के पति को भी सजा...
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बाबा इच्छाधारी देह का व्यापारी शिवमूर्त द्विवेदी खुद को साईं भक्त बताता था। उसने अपना नाम रखा था इच्छाधारी संत स्वामी भीमानंद जी महाराज चित्रकूट वाले। उसके सैंकड़ों भक्त थे, लेकिन साईं भक्ति व भगवा चोले की आड़ में वह देश का सबसे बड़ा सैक्स रैकेट चला रहा था। इच्छाधारी इस बाबा का नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ था। उसके रैकेट में 500 से ज्यादा स्कूली छात्राओं, मॉडल्स, छोटे पर्दे की कलाकारों, एयर होस्टेस से लेकर घरेलू महिलाएं तक थीं। र्ध्म की आड़ में वह करोड़ों की सम्पत्ति का वारिस बन गया। दूसरों को धर्म व नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाला खुद अनैतिकता में लिप्त था। कई नेताओं, पुलिस अधिकारियों व करोड़पतियों से उसके संबंध रहे। इच्छाधारी की जब पोल खुली तो दिल्ली पुलिस के अलावा उसके भक्त भी चौंक गए। वह आपराधिक पृष्ठभूमि का भी स्वामी था। (सम्पूर्ण कहानी मनोहर कहानियाँ के अप्रैल,2010 अंक में) कुछ हिस्सा... शॉम ढलने के साथ ही देश की राजधानी दिल्ली की रंगीनियां भी बढ़ जाती हैं। शॉपिंग माल्स, होटलों व सड़कों पर लंबी चमचमाती कारों का कापिफला भी सड़कों के सीने पर दौड़ता हुआ नजर आने लगता है। एक करोड़ की आबादी वाली रा...
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सानिया +शोएब: सरहदों ओर सवालों में उलझा रिश्ता सानिया मिर्जा व पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक का गुपचुप ढंग से पनपा रिश्ता किसी मुकाम पर पहुंचने से पहले ही सवालों ओर विवादों के चक्रव्यूह में उलझ चुका है। दोनों ही चर्चित हैं ओर कई कारणों से विवादित भी रह चुकेे हैं। सरहदों ने भी इस रिश्ते को उलझन में डाल दिया है। दो देशों के झुलसते रिश्तों के बीच मोहब्बत का तराना गुनगुनाने का दावा करने वाले सानिया-शोएब पर तिरछी नजरें हैं। क्योंकि इसकी गुंजाइश कम है कि इससे मुल्कों के रिश्तों में तल्खी फनां होकर मिठास पैदा होगी या पुराने जख्मों के निशां मिट जायेंगे, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री नवाज व पाक रेंजर डीजी मो. याकूब इसकी उम्मीद जता रहे हैं। निकाह के बाद सानिया दुबई में बसने की घोषणा कर चुकी है। हैदराबाद की ही शोएब की पूर्व कथित पत्नी आयसा सिद्दीकी इस वक्त सबसे बड़ी खलनायक बनकर उभरी हैं ओर लगातार गंभीर आरोप लगा रही हैं। शोएब के खिलाफ बंजारा हिल्स थाने में धारा-240,498 व 206 के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज करा दिया गया है जिनमें गिरफ्तारी संभव है। बेटी को इंसाफ दिलाने के लिये एम.ए. मलिक भी मैदान में हैं। शोए...
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इश्क के जुनून में खानम का खून -नितिन सबरंगी जरायम को लेकर भी बदनाम हो रहे उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में प्रतिदिन की भांति उस दिन भी लोग अपनी दिनचर्या में व्यस्त थे। बस अड्डों पर आमतौर पर मुसाफिरों की भीड़ जमा रहती है। सोहराब गेट बस अड्डे पर भी दोपहर के वक्त सैंकड़ों मुसाफिर मौजूद थे। खुर्जा-बुलन्दशहर को जाने वाली रोडवेज बस आकर खड़ी हो गई। इस बस का नंबर था यूपी 15 एटी-1593। बस के रूकते ही एक-एक कर उसमें दर्जनों लोग सवार हो गए। खूबसूरत दिखने वाली एक दुबली-पतली युवती भी बस की तरफ बढ़ी। युवती नीले रंग की जींस ओर छींटदार कुर्ता पहने हुए थी। यह लिबास उस पर खूब फब रहा था। एक तो खूबसूरती दूसरे उसका लिबास ये दोनों ही चीजे ऐसी थीं जो यात्रियों का ध्यान उसकी तरफ खींच रहीं थीं। युवती के कंधे पर पर्स झूल रहा था। वह युवती अकेली नहीं थी उसके साथ अधेड़ महिला भी थी। पहली ही नजर में देखकर लग रहा था कि दोनों के बीच कोई बेहद नजदीकी रिश्ता था। बस तैयार खड़ी थी। वह दोनों भी उसी बस में सवार हो गईं। उनके चढ़ते ही परिचालक ने सरसरी सी नजरें डालकर पूछा,‘‘कहां जाना है आपको?’’‘‘भैया बस गुलावठी तो जायेगी ना?’’ युवती के ...
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इंतकाम की आग -नितिन सबरंगी (बिजनौर यूपी का बहुचर्चित कांड) दुनिया की तमाम हलचल से बेखबर पूरा गांव नींद के आगोश में था। रात्रि का दूसरा पहर शुरू हो चुका था। वक्त तो नींद का ही था, लेकिन 17 साल की फातिमा व उसके पिता अख्तर की आँखों से नींद कोसों दूर थी। दोनों के ही मनों में तूफान सा उठ रहा था। एक ऐसा तूपफान जो शांत होने का नाम नहीं ले रहा था। उसके दिल-ओ-दिमाग पर पंचायत और उसके फैसले की यादें रह-रहकर ताजा हो रहीं थीं। अपमान व तिरस्कार ने उन्हें झकझोर दिया था। करवटेें बदल-बदलकर दोनों को कब नींद आ गई इसका पता उन्हें भी नहीं चल सका। फातिमा ने जो कुछ भी देखा था वह दिल को दहला देने वाला था। वह अपने पिता के कमरे में सो रही थी। तभी उनका पड़ोसी राशिद व उसका बड़ा भाई हसीनुद्दीन दबे पांव वहां आ गये। कुछ आवाज सुनकर उसकी आंख खुली तो देखा तो उनके हाथों में खून से सनी कटार चमचमा रही थी और वह खा जाने वाली नजरों से उसे घूर रहे थे। फातिमा की निगाह जमीन पर पड़ी तो हलक से चीख निकल गई। खून से लथपथ उसका पिता अख्तर जमीन पर पड़ी किसी मछली की तरह तड़प रहा था। फातिमा से यह सब देखा नहीं गया वह फुर्ती से खड़ी हुई और उसन...
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जम्मू-कश्मीर का अमीना-रजनीश प्रकरण मोहब्बत का अधूरा सफर -नितिन सबरंगी प्राकृतिक सौन्दर्य की गोद में बसे श्रीनगर की अमीना मराजी व जम्मू के राजेश उर्फ रजनीश शर्मा में प्यार हुआ, तो उन्होंने साथ जीने-मरने की कसमें खायीं। आग के दरिया में तैरकर दोनों ने मजहब की दिवारे गिराकर शादी भी कर ली। अमीना धर्म बदलकर आंचल शर्मा हो गई। इससे उसके परिजन दुश्मन बन गए। दोनों के जीवन में खुशियां शायद एक महीने की ही मेहमान थी। पुलिस ने राजेश को हिरासत में लिया, तो उसकी लाश हवालात में लटकी पायी गई। आंचल पर जैसे मुसीबतों को पहाड़ टूट पड़ा। सुर्खियों में आये इस मामले ने जम्मू-कश्मीर में हड़कम्प मचा दिया। गमजदा आंचल को इंसाफ दिलाने के लिये धर्मिक संगठन भी मैदान में उतर आये। आंचल ने हत्या का आरोप लगाकर अपने परिजनों व पुलिस के खिलाफ जंग शुरू कर दी, लेकिन अचानक एक दिन वह घर से लापता हो गई। अगले दिन जब मिली तो फिर से अमीना बन चुकी थी। अमीना की किस्मत ने जो खेल उसके साथ खेला उसमें वह खुद उलझकर रह गई। राजेश यदि इस दुनिया में होता, तो अमीना शायद ही मोहब्बत में दगा करती। (प्रकाशित मनोहर कहानियाँ मार्च,2010 अंक में) *- ...
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खूंखार आतंकी को मारने वाली रूखसाना- लड़कियां ऐसी भी होती हैं -नितिन सबरंगी भारत पाकिस्तान के बार्डर से सटे प्राकृतिक सौन्दर्य की गोद में सिमटे राज्य जम्मू-कश्मीर का आतंकवाद से रिश्ता सालों पुराना है। आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों ने इस प्रदेश के वास्तविक चेहरे को बिगाड़ने का काम किया। भारत के सिरमौर इस स्वर्ग की सरजमीं पर दनदनाने वाले सैंकड़ों आतंकवादी सालभर में मारे जाते हैं उनके नापाक मंसूबे नाकायमयाब होते है और उनसे लाखों रूपये के विदेशी हथियार भी बरामद होते हैं। जाहिर है यह सुखद पहलू है, लेकिन दुखद पहलू यह भी है कि आतंकवादियों के खिलाफ होने वाली कार्रवाई में भारत माँ के लाल भी शहीद हो जाते हैं। कश्मीर के आवाम का तो दहशत व खौफ से चोली-दामन का साथ है। उनके दिल-ओ-दिमाग पर हर वक्त एक अंजाना सा खौफ तारी रहता है। आतंकवादियों की बंदूके कब किसके सीने को छलनी कर दें इस बात को कोई नहीं जानता। कड़वी हकीकत यह है कि आये दिन होने वाली घटनाओं की जनता व पुलिस दोनों ही आदि हो चुके हैं। सितम्बर के महीने में हल्की ठंडक के साथ ही मौसम गुलाबी सा हो चला था। 28 सितम्बर,2009 की सुबह राजौरी जिले के समूच...
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तेजाब की जली एक पाकिस्तानी लड़की की दास्तां- बदसूरती बनी मिसाल -नितिन सबरंगी (प्रकाशित महानगर कहानियाँ, फरवरी,2010) बिस्तर पर पड़ी सारिया शून्य को निहार रही थी। उसके लिये जैसे जिंदगी के मायने ही खत्म हो गए थे। शरीर में पैदा होने वाली बेहद जलन, दर्द व बेबसी से वह रू-ब-रू हो रही थी। उसके हजारों ख्वाब तिनका-तिनका हो चुके थे जिन्हें समेटना अब नामुमकिन था। तेजाब की एक बौछार ने उसकी खूबसूरती को जलाकर ध्ुंआ-ध्ुंआ कर दिया था। सारिया की आँखों के आंसू जब तक रहते साथ देते पिफर खुद ही जैसे रूखसत हो जाते। पिछले कई दिनों से अस्पताल का बर्न वार्ड उसकी दर्दीली चीखों से रह-रहकर दहल उठता था। उसके दिन-ओ-रात बिस्तर पर ही होते थे। प्रतिदिन डॉक्टर आते थे ओर उसके चेहरे की पट्टियां बदलकर चले जाते थे। सारिया के परिजन, नाते-रिश्तेदार उसके ठीक होने की दुआएं कर रहे थे। गमजदा व सोच में डूबी सारिया को देखकर साये की तरह उसके साथ लगी श्रीमती रूबीना ने उसे संभालने का प्रयास किया,‘‘सब्र करो बेटी अल्लाह तआला सब ठीक कर देगा।’’‘‘अब क्या ठीक होगा अम्मी। मैंने किसी का क्या बिगाड़ा था जो मुझे ऐसी सजा मिली। क्या खुदा अपने...
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चूहा बोला- "सक्ल पर मत जा पागल मेरा होंसला देख .... मुंबई मे शिव सेना की गुंडागर्दी रुकने का नाम नहीं ले रही है. बाल ठाकरे के आग लगाऊ बयान जारी है. साहरुख खान से लेकर नामी हस्तीयों, राहुल गाँधी और महारास्ट्र की सरकार तक पर निशाना साधा जा रहा है. ये बात अलग है कि शिव सेना 4rth नम्बर कि पार्टी है. पार्टी के १८०० लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. राहुल गाँधी शेर को आदर्स मानने वाले ठाकरे को उसके ही गढ़ में जाकर ओकात दिखा चुके है. सभी लोग ठाकरे को ही गलत ठहरा रहे है, कोई उन्हें बूढ़ा शेर , कोई बिना दांत वाला शेर तो कोई, हटधर्मी कह रहा है, लेकिन जनाब का होंसला तो देखो. मुख्यमंत्री तक को कह दिया कि उनकी सरकार तो खुद पाकिस्तान कि मदद से बनी है. किसी तानासाहा कि तरह एलान करते है.1 चुटकला गोर करने लायक है. "जंगल में एक चूहा पगला गया था. एक दिन वह एक हाथी से बोला- "बोल मेरे साथ कुश्ती करेगा?" हाथी ने उसकी बात पर गोर नहीं दीया और आगे बढ़ने लगा लेकिन चूहा पीछे पड़ गया. "बोल न मेरे साथ कुश्ती करेगा?" हाथी हंसकर बोला- "अबे चल सक्ल देखी है अपनी?" इस पर चूहा बो...
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**हदों को लांघता अंधविश्वास इंसान भले ही चाँद पर क्यों न पहुच गया हो लेकिन समाज मे न तो तंत्र मन्त्र का ढोंग करने वालों की कमी है और न ही अंध विश्वास करने वालो की. सहारनपुर मे एक काली बिल्ली का खोफ कुछ एस तरह फे़ला की लोगों ने बंगाल से हजारों खर्च करके तांत्रिकों की एक टीम बुलवा ली. उन्होंने लोगो का जमकर पागल बनाया. आफत और अफवाओ ने पुलिस के भी होश उडा दिए. अंधविश्वास का आलम यह था की लोगों ने दारुल उलूम के मुफ्ती आरिफ कासमी व सहर काजी की अपील को भी नहीं माना. ढोंगी तांत्रिकों ने कई बकरों व मुर्गों की भी बलि दे डाली. उन्होंने एक लड़की को जबरन मुर्गे का खून कटोरे मे डालकर पीने पर मजबूर किया. काली बिल्ली के साये से बचने को लोगों ने महंगाई के इस दोंर मे १० कुंतल सरसों सड़कों पर बिखरवा दी. आखिर पुलिस नींद से जागी और मुकदमा दर्ज करने के साथ ही बंगाली बाबावों की तलाश मे दबिसे दी तो वह भाग गए. अब काली बिल्ली का साया भी नहीं है. ये घटना सबूत ही एस बात का की हमारे देश मे अंधविश्वास की जड़ें किस हद तक मोजूद है. काली बिल्ली से साये को भगाने मे लोगों ने जीतना रुपया ढोंगी बाबावो पर खर्च क्या उतने मे ...
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**संसद मे भी नींद जरूरी....शर्मनाक..... दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद जहा जनता के चुने हुए नेता अपनी आवाज़ बुलंद करते है. अपने इतिहाश मे कई शर्मनाक पलों को समेटे हुए है. फिर भी हमारे नेता हरकतों से बाज़ नहीं आते. आज लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पर संसद मे जमकर बहस हुई. बहस तेज आवाज़ मे हुई, कई बार सांसदों को शांत किया गया. ये तो मामूली बात हुई. इस सब शोर के बीच एक सांसद आराम की नींद सोते रहे. पता नहीं नेताजी ने जनता के लिये कितनी महनत की होगी की थककर जनाब को नींद ही आ गई. ये नेताजी बहस कर रहे कांग्रेस के जगदम्बिका पाल के ठीक पीछे थे. फोटो उनकी हकीकत बयां कर रहा है. जाहिर है उनके इलाके की जनता को अपने नेता की ये नींद पसंद नहीं आयगी.**
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बयान+महंगाई+आम जनता के आंसू = शरद पंवार केंद्रीय खाद व् उपभोक्ता मामलों में मंत्री शरद पंवार पता नहीं क्या कहते है? या तो वह अनजाने में बयान देते है या फिर उनकी वजह से दलालों और बिचोलियों को बड़ा फायदा हो रहा है. उनके बयान का बाजार पर तुरंत क्या फर्क पड़ता है और आम आदमी किस तरह से अपनी किस्मत और सरकार को कोसकर पिसता है शायद इसका उन्हें अंदाजा भी न हो. बेचारी आम जनता की बात को छोड़ भी दीया जाये तो उनके अपने ही उनके बयानों से खुश नहीं है. वह राज्यों की सरकारों और गेर दलों के निशाने पर है. उनकी वजह से पार्टी के गुब्बारे की हवा निकल रही है. महंगाई को रोकने में नाकाम सरकार अपनी विफलता को छिपा रही है. कभी शरद पंवार कहते है कि खाद पदार्तों की कीमत बढ सकती है, कभी कहते है कि दूध कि कीमत बढ सकती है. चीनी के दामों पर कहते है कि *मै कोई ज्योतीस नहीं जो बता सकू कि चीनी के दाम कब कम होंगे* एक वरिष्ट मंत्री ही यदि इस तरह का बयान दे तो क्या कहा जा सकता है. वेसे कमर तोड़ महंगाई सरकार पर तगड़ी बिजली बनकर गिरेगी. वेरोधी दल भी इसको मुद्दा बनायंगे. सरकारी आंकड़े ही खुद सरकार को चिड़ा रहे है. फिलहाल तो जरू...
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अब आए ऊंट पहाड़ के नीचे.......... पुरानी कहावत सामने आ रही है. दो ऊंट या सम्मानजनक सब्दों में अपनी दुनिया के बेताज नहीं "ताज वाले बादशाह" रुचिका कांड के आरोपी राठोर और लाखो लोगों की आस्था का किला बने संत आशाराम बापू गिरफ़्तारी से बचने के लिये घूम रहे है. मोह माया से लगाव न रखने वाले करोरों के स्वामी आशाराम बापू को एक मामले में अग्रिम जमानत देने से कोर्ट ने इंकार कर दीया है. उनकी गिरफ़्तारी का रास्ता बिलकुल साफ़ है. बाबा भगवान की सरन में है. इसी तरह वर्दी वाले गुंडे रुचिका कांड के आरोपी राठोर के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने पर अब उनकी गिरफ़्तारी भी हो सकती है. उम्मीद है जनाब को अब कोर्ट के बाहर हंसी नहीं आयगी. देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री में आरुषी के पिता तलवार उनकी पत्नी नुपुर तलवार एक बार फिर सी. बी. आई के निशाने पर है. आरुषी कांड यकीनन देश का अनोखा बड़ा केश है जीसने अपराध के बड़े बड़े जानकारों के दीमाग को हिलाकर रख दिया है. वह साजिश का इतना बड़ा सरताज है जो लाखों दीमाग से आगे की सोच रखता है. उसका रसूख भी है, दो़लत के बल पर वह किसी से भी जमीर को खरीदने की ताकत रखता है. अरुषी के ख...