
बदसूरती बनी मिसाल
-नितिन सबरंगी
-नितिन सबरंगी
(प्रकाशित महानगर कहानियाँ, फरवरी,2010) बिस्तर पर पड़ी सारिया शून्य को निहार रही थी। उसके लिये जैसे जिंदगी के मायने ही खत्म हो गए थे। शरीर में पैदा होने वाली बेहद जलन, दर्द व बेबसी से वह रू-ब-रू हो रही थी। उसके हजारों ख्वाब तिनका-तिनका हो चुके थे जिन्हें समेटना अब नामुमकिन था। तेजाब की एक बौछार ने उसकी खूबसूरती को जलाकर ध्ुंआ-ध्ुंआ कर दिया था। सारिया की आँखों के आंसू जब तक रहते साथ देते पिफर खुद ही जैसे रूखसत हो जाते। पिछले कई दिनों से अस्पताल का बर्न वार्ड उसकी दर्दीली चीखों से रह-रहकर दहल उठता था। उसके दिन-ओ-रात बिस्तर पर ही होते थे। प्रतिदिन डॉक्टर आते थे ओर उसके चेहरे की पट्टियां बदलकर चले जाते थे। सारिया के परिजन, नाते-रिश्तेदार उसके ठीक होने की दुआएं कर रहे थे। गमजदा व सोच में डूबी सारिया को देखकर साये की तरह उसके साथ लगी श्रीमती रूबीना ने उसे संभालने का प्रयास किया,‘‘सब्र करो बेटी अल्लाह तआला सब ठीक कर देगा।’’‘‘अब क्या ठीक होगा अम्मी। मैंने किसी का क्या बिगाड़ा था जो मुझे ऐसी सजा मिली। क्या खुदा अपने नेकदिल बेगुनाह बंदों पर ऐसा जुल्म करता है?’’‘‘ऐसा नहीं सोचते बेटी अल्लाह गुनाह करने वाले को भी कतई नहीं बख्शेगा।’’ एक आँख को छोड़कर सारिया का पूरा चेहरा ही पट्टियों से लिपटा हुआ था। उसका दर्द उसकी आँख व आवाज के कंपन के साथ होने वाली सिसकियों में सापफ झलकता था। श्रीमती रूबीना की दिलासा के बावजूद सारिया की आँख का कोर गीला हो गया। दिल तो श्रीमती रूबीना का भी बहुत रो रहा था, लेकिन वह आँखों में आंसू लाकर बेटी के जीने का हौंसला नहीं तोड़ना चाहती थी। उन्होंने किसी तरह खुद को संभालकर सारिया के सिर पर हाथ रखकर बोली,‘‘हिम्मत रख बेटी एक तू ही तो हमारा सहारा है।’’‘‘अब हिम्मत नहीं होती अम्मी। बेहतर हो खुदा मुझे मौत ही बख्श दे।’’‘‘या खुदा! अपनी जुबान पर ऐसी बात मत ला।’’ श्रीमती रूबीना ने उसे समझाने का प्रयास किया। लियाकत अली भी बेटी को संभालने की कोशिश करते थे, लेकिन वह दोनों ही जानते थे कि उनकी बेटी को जीते जी अब नरक सा जीवन मिल गया है। सारिया के साथ जो कुछ घटित हुआ था उससे हर कोई आहत हुआ था।दरअसल 16 वर्षीय सारिया दिल दहला देने वाली घटना से बावस्ता हुई थी। भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लाहौर..........उसने गिलास रखी ट्रे उसकी तरपफ बढ़ायी। वह कुछ समझ पाती कि उससे पहले ही माजिद ने चीते की सी पफुर्ती से बोतल का तरल पदार्थ सारिया के चेहरे पर डाल दिया। भयानक जलन भरे दर्द से सारिया चिल्लाने लगी। माजिद ने जो तरल पदार्थ पफेंका था वह तेजाब था। घटना को अंजाम देकर माजिद तत्काल वहां से भाग गया। बेटी की हालत देखकर लियाकत अली के पैरों तले से जमीन खिसक गई। उन्होंने भी शोर मचा दिया। शोर-शराबा सुनकर आसपास के लोग भी वहां एकत्रा हो गए। सारिया के चेहरे से गंध्युक्त ध्ुंआ निकल रहा था। लोगों ने आनन-पफानन में सारिया को अस्पताल मंें भर्ती कराया गया। बामुश्किल सारिया की जान बच सकी। उसका चेहरा अस्सी प्रतिशत जल.........
अपनी खूबसूरती के कुचल जाने का दर्द सारिया अब मुस्कराहट के साथ दूर कर देती है। वैसे वह कहती है-‘इंसान का चेहरा ही सबकुछ नहीं होता। सच्ची खूबसूरती किसी भी व्यक्ति के अंदर निहित होती है बाहर नहीं।’ सारिया ने साबित कर दिया कि दृढ़ निश्चय व सकारात्मक दृष्टिकोण के बल पर मंजिल को पाया जा सकता है। पूर्ण स्टोरी के लिये मेल करें...nitinsabrangi@gmail.com" href="mailto:...nitinsabrangi@gmail.com
slaam krta hu is zazbe ko!!!
जवाब देंहटाएंnitinji exilent ..i hav to learn lots of thing frm u
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