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पाखंडी गुरमीत और उसका गुडातंत्र, कानून की चोट से ध्वस्त वजूद

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कथित बाबा के तौर पर खुद को पेश करने वाले गुरमीत सिंह को माननीय अदालत द्वारा दोषी ठहराये जाने के बाद प्रमुख रूप से पंजाब व हरियाणा में हुई खूनी हिंसा ने न सिर्फ सरकारी तंत्र की पोल खोली बल्कि पहले की तरह एक बार फिर साफ हो गया कि इस तरह के पाखंडियों से लगाव रखने वाला अंधश्रृद्वा वाला भीड़तंत्र समाज के लिए किस तरह खतरा साबित होता हैं। मनमानी और खुद को कानून से ऊपर समझने के गुरूर ने राम रहीम को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। इस सबके बीच करोड़ों रूपये की सरकारी गैरसरकारी संपत्ति का नुकसान तो हुआ ही लोगों की जानें भी गईं। जिंदगी ठहर सी गई, बस व रेल मार्ग अवरूद्व हो गए, लोग बिजली पानी से महरूम हुए, स्कूल कॉलेज बंद हुए और तमाम परेशानियों से इसलिए रूबरू होना पड़ा, क्योंकि भीड़तंत्र ने कुछ समय के लिए व्यवस्था को अपाहिज कर दिया। बावजूद इसके तारीफ करनी होगी उस दुराचार पीड़िता की जिसने अकूत दौलत व ताकत के बाजीगर के खिलाफ इंसाफ की अवाज बुलंद की। इसके लिए उसे तमाम धमकियों और दुश्वारियों का सामना करना पड़ा। अदालत के फैसले ने इंसाफ के प्रति आम आदमी के विश्वास को और भी मजबूत किया और न्यायाधीश ने भीड़ के दम प...

चोटीकटवा, मंकी मैन और मुंहनुचवा, क्या होती है हकीकत?

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देश के चार राज्यों में एक अफवाह चोटीकटवा ने आतंक की तरह काम किया। महिला ओं व लड़कियों के चोटी कटने के मामले तेजी से सामने आये। यह चोटी काटता कौन है? यह रहस्य है, लेकिन इसने सभी के होश उड़ा दिए। अफवाह ने खतरनाक रूप लिया और उन्माद फैलने लगा। आगरा में लोगों ने एक महिला को डायन बताकर लाठी डंडों से पीटकर मार डाला। यह समाज को कलंकित करती घटना है। दरअसल शहरी व देहात इलाकों में महिलाओं व लड़कियों की चोटी काटने के मामले प्रकाश में आये। कटी चोटियां हाथ में होती हैं इसलिए घटनाओं को पूरी तरह झुठलाया भी नहीं जा सकता। चोटी कटने के पीछे तरह-तरह के दावे और अफवाहें हैं। हैरत भरे किस्से रहस्य से परिपूर्ण और रोमांचक जरूर हैं। वैज्ञानिक इसे अंधविश्वास और मनोविज्ञानी बीमारी बताते हैं। असामाजिक तत्वों की करतूत भी इसे बताया जा रहा है। पुलिस कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। इससे पहले वर्ष 2001 में मंकीमैन ने खूब दहशरत फैलाई। इसके बाद मुंहनोचवा आ गया। हैरानी की बात यह है कि किसी का भी कभी ठोस निष्कर्ष सामने नहीं आया। समय के साथ ऐसी घटनाएं और किस्से थम जाते हैं। अफवाहें कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बन जाती हैं।...