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नरेन्द्र मोदी का नायक बनना -नितिन शर्मा ‘सबरंगी’ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में जनता ने उम्मीदों से नरेन्द्र मोदी को अपना नायक चुना। आस्था, विश्वास व अपेक्षा के माहौल में यकीनन चमत्कारी व ऐतिहासिक करवट रही। बात राजनीति की नहीं उन हालातों की है जिनसे देश गुजर रहा था। जनता को कठपुतली बनाकर जले पर नमक डाला जा रहा था। बयानबाजियों में अंहकार व गुरूर झलकता था। यदि ऐसा नहीं होता, तो जनता तख्ता पलट क्यों करती ? यूं भी जनता किसका तख्ता पलट दे कोई नहीं जानता, मौका मिलते ही वह गलतफहमी दूर कर देती है क्योंकि वक्त के बाद व ही सबसे बड़ी ताकत है। 55 करोड़ 10 लाख मतदाताओं ने इसे साबित भी कर दिखाया। समझ आ गया होगा कि जनता किसी की गुलाम नहीं होती! जिनकी गलतफहमी दूर हुई है वह मंथन करें कि लोकसभा-2014 में इतिहास ने आखिर करवट क्यों ली? नेताओं को सत्ता के गुरूर, मनमानी, भ्रष्टाचार के कीर्तिमान, झूठे किले खड़े करके सिंघासन सजाने की गलतफहमी से निकल जाना चाहिए। त्रस्त जनता के बीच नरेन्द्र मोदी अनोखी छवि बनाकर उभरे ओर दिलों पर छा गए। लोगों ने पार्टी को नहीं व्यक्ति का चुनाव किया। युवाओं ने उन्हें पसंद क...