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न भरने वाले जख्म ओर जिम्मेदार कोई नहीं? सियासत की गंदी शतरंज पर हमदर्दी का तमाशा सदियों पुराने रिश्तें नफरत के खंजर से घायल छेड़छाड़ की एक घटना के बाद उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर में साम्प्रदायिक दंगा हो गया। 3 दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए। बहुत से घायल हुए। -‘तकलीफ तब होती है जब इंसानियत नफरतों के खंजर से घायल होती है।’ सामाजिक धरातल चटका, सदियों पुराने रिश्ते, अमन, इंसानियत घायल हुई, करोड़ों का नुकसान हुआ, शहर पर बदनुमा दाग लगा ओर सौहार्द बिगड़ गया। हिंसा की चिंगारी ने उन गावों तक को अपनी चपेट में ले लिया जिनमें भाईचारे की मिसाल दी जाती थी। 11 दिनों तक महौल को समझने की प्रशासनिक नाकामी के बीच हिंसा भड़की, तो सीमा पर रक्षा करने वाली सेना को लगाना पड़ा। यह दुर्भाग्य ही है जो सैनिक सीमा पर रक्षा करते हैं उन्हें हमारी निजी व्यवस्था भी संभालनी पड़ती है जाहिर है यह हमारी नाकामी का सुबूत भी है। जाति-धर्म के नाम पर खूनी साजिश में हर सूरत में नुकसान आम आदमी का ही होता है। ऐसे दंगों से लोगों को कुछ हासिल नहीं होता। शायद यह बात बहुत कुछ गंवाने के बाद समझ में आ भी जाती है। नापाक त...