संदेश

2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
चित्र
न भरने वाले जख्म ओर जिम्मेदार कोई नहीं? सियासत की गंदी शतरंज पर हमदर्दी का तमाशा सदियों पुराने रिश्तें नफरत के खंजर से घायल छेड़छाड़ की एक घटना के बाद उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर में साम्प्रदायिक दंगा हो गया। 3 दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए। बहुत से घायल हुए। -‘तकलीफ तब होती है जब इंसानियत नफरतों के खंजर से घायल होती है।’ सामाजिक धरातल चटका, सदियों पुराने रिश्ते, अमन, इंसानियत घायल हुई, करोड़ों का नुकसान हुआ, शहर पर बदनुमा दाग लगा ओर सौहार्द बिगड़ गया। हिंसा की चिंगारी ने उन गावों तक को अपनी चपेट में ले लिया जिनमें भाईचारे की मिसाल दी जाती थी। 11 दिनों तक महौल को समझने की प्रशासनिक नाकामी के बीच हिंसा भड़की, तो सीमा पर रक्षा करने वाली सेना को लगाना पड़ा। यह दुर्भाग्य ही है जो सैनिक सीमा पर रक्षा करते हैं उन्हें हमारी निजी व्यवस्था भी संभालनी पड़ती है जाहिर है यह हमारी नाकामी का सुबूत भी है। जाति-धर्म के नाम पर खूनी साजिश में हर सूरत में नुकसान आम आदमी का ही होता है। ऐसे दंगों से लोगों को कुछ हासिल नहीं होता। शायद यह बात बहुत कुछ गंवाने के बाद समझ में आ भी जाती है। नापाक त...
चित्र
खूंखार बम एक्सपर्ट टूंडा जैसे कितने गद्दार? मोस्ट वांटेड खूंखार आतंकवादी बम बनाने का एक्सपर्ट अब्दुल करीम उर्फ टूंटा आखिर पकड़ा गया। यह वह हैवान है जिसने देश के कई हिस्सों में आतंकवाद के बीज रोपे। आतंक की पैदाईस में इसका बहुत बड़ा हाथ रहा है। हैरत यह कि रेड कॉर्नर नोटिस के बाद भी यह पहली बार गिरफ्त में आया। पत्रकारिता के सफर में अब्दुल करीम उर्फ टूंडा पर मुझे कई बार लिखने का मौका मिला। हिन्दुस्तान में ही जन्मे इस नापाक गद्दार के इरादे शुरू से ही खतरनाक रहे थे। खून-खराबा, हिंसा उसे पसंद थी। बम बनाते वक्त हुए एक विस्फोट में इसका हाथ उड़ गया तभी नाम टूंडा पड़ा। भारत में सीरियल बम धमाकों के बाद यह बंगलादेश के रास्ते पाकिस्तान भाग गया था। कोई दोराय नहीं कि यदि हिन्दुस्तान में ऐसे हैवान न हो तो पाकिस्तान की औकात इतनी नहीं कि वह हम पर चोट कर सके। कभी चिकित्सक रहे टूंटा का शुरू से ही देश को आतंकवाद की आग में झोंकने का मकसद रहा। चार भाषाओं पर उसकी पकड़ है। गिरफ्तारी के वक्त भी इस आतंकी की नजरों का अंदाज बेहद शातिराना था। 70 साल की उम्र में भी यह भारत की तबाही का ख्वाब देख रहा था। इस शात...