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जुलाई, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
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30 साल से जंजीरों में कैद स्वर्ग की एक जिंदगी कश्मीर की वादियां सुकून देने वाली होती हैं, लेकिन चुन्नीलाल की जिंदगी 30 साल से जंजीरों में कैद है। शहतूत के एक पेड़ से भी जैसे उसका अटूट बंध्न हो गया है। मौसम साल दर साल कई रंग बदलता है परन्तु बदनसीबी का पेड़ सदाबहार हो चुका है। कोई ओर होता तो दामन झटक देता, लेकिन चुन्नीलाल की पत्नी वैष्णों ने त्याग, समर्पण ओर मोहब्बत की मिसाल कायम की। पति के अर्द्वविक्षिप्त होने के बाद भी उसने चुन्नीलाल को नहीं छोड़ा। मेहनत मजदूरी करके किसी तरह बच्चों को बड़ा किया ओर उनकी शादियां भी कीं। पति की सेवा करने में भी वह कोई कसर नहीं छोड़ती। चुन्नीलाल को जंजीरों की कैद से आजाद करके वह उसे सेना या आतंकवादियों की गोलियां का शिकार नहीं बनवाना चाहती। वह आजाद घूमा तो किसी का भी शिकार हो सकता है। तमाम मुसीबतों के बीच वैष्णों आज भी अपनी हिम्मत की इबारत लिख रही है- (मनोहर कहानियाँ जुलाई अंक में प्रकाशित रचना के चंद अंश)-’जम्मू-कश्मीर के अधिकांश गांवों के लोग पौ फटते ही जग जाते हैं ओर सूरज ढलने के साथ ही अलसाने लगते हैं और......
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इज्जत ने बनाया बेटी की कोख का कातिल उत्तर प्रदेश में मोहब्बत की दुश्मन कही जाने वाली जुर्म की पथरीली जमीन व प्रेमी युगलों को मारने के लिये बदनाम उत्तर प्रदेष में मु.नगर की सरजमीं पर मानव व दीपिका के बीच एक इंस्टीट्यूट में कोचिंग के दौरान पहले दोस्ती ओर फिर प्यार हो गया। अलग-अलग जाति के चलते परिजनों ने इसका विरोध किया, लेकिन दोनों ने विवाह कर लिया। इसके बाद दीपिका के परिजन उसके दुश्मन बन गए। उसे कड़े इम्तिहान के दौर से गुजरना पड़ा। एमबीए व एयर होस्टेज का कोर्स कर चुकी व एक मल्टीनेशनल कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी कर रही दीपिका की कोख में बीटेक/एमबीए कर चुके व एक्सपोर्ट हाउस में सर्विस कर रहे मानव की मोहब्बत की निशानी पल रही थी। दीपिका के परिजन उसे धोखे से अपने साथ ले गए। उन्होंने मानव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का मारपीट करके दबाव बनाया जब वह नहीं मानी, तो एक महिला चिकित्सक से मिलीभगत करके उसे गर्भपात कराने की दवा पिलाकर इंजेक्शन लगवाये गए। हकीकत का भान होते ही वह अस्पताल से भाग गई। मानव ने उसे एक संस्था की मदद से अस्पताल में भर्ती कराया। दो दिन में दीपिका ने बहुत कुछ देखा। अपना माय...