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अप्रैल, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
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बंदूक वाले मास्टर जी उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में नरभक्षी गुलदारों, तेंदूओं ओर बाघों का आतंक कोई नई बात नहीं है। बच्चों व बड़ों को वह अपना शिकार बनाते रहते हैं। लखपत सिंह रावत पेशे से शिक्षक थे। उन्हें सपनों में भी बच्चों की चीखें सुनायी देती थीं। वर्ष 2000 में उत्तराखंड का चमोली जिला नरभक्षी गुलदार से आतंकित हुआ, तो बड़े-बड़े शिकारी आये, लेकिन नरभक्षी इतना चालाक हो गया कि दो साल तक वह मारा नहीं जा सका। वह 12 बच्चों का अपना निवाला बना चुका था। तब लखपत सिंह ने सरकार से जिद करके नरभक्षी को मारने का परमिट लेकर कलम थामने वाले हाथ में बंदूक ली और उसे मार गिराया। इस शिक्षक ने मौत से सामना करने के लिये बंदूक थामी तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब तक यह शिक्षक उत्तराखंड के चमोली, टिहरी, पौड़ी, चंपावत, बागेश्वर, रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी व देहरादून आदि जिलों में दर्जनों नरभक्षियों को मार चुका है। उन्होंने नरभक्षियों पर शोध भी किया। उनके असामान्य व्यवहार के कारणों को जाना ओर लोगों को बचाव के उपाय भी बताये। लखपत सिंह को आज लोग बंदूक वाले मास्टर के नाम से जानते हैं। (पूर्ण कहानी मनोहर कहानियाँ के अप्रैल...
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खाप पंचायत ने पति-पत्नी को भी बना दिया भाई-बहन दुनिया की तमाम हलचल से बेखबर दस महीने का मासूम रौनक गहरी नींद के आगोश में था। इसके विपरीत कविता के मन में तूपफान उठ रहा था। एक ऐसा तूफान जो शांत होने का नाम नहीं ले रहा था। वह ऐसे भंवर में उलझी हुई थी जिससे वह निकलना चाहती थी। यह भंवर था वक्त और उसकी जिंदगी। सुहागन होकर भी वह खुद को विधवा महसूस कर रही थी। उसके दिल-ओ-दिमाग पर शादी से लेकर खाप पंचायत के फैसले की यादें रह-रहकर ताजा हो रहीं थीं। नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी। कभी वह रौनक को देखती तो कभी शून्य को निहारने लगती। यह सिलसिला घंटों चलता रहा। वह खुद को दुनिया की सबसे बदनसीब विवाहिता समझ रही थी। सामाजिक व्यवस्था, पुरातन मान्यता व गोत्रा विवाद ने उसे ऐसा झटका दिया कि जिस पति के साथ वह ढाई साल से सुखद वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही थी उसी पति के साथ उसका रिश्ता भाई-बहन का बना दिया गया। जो सतीश कल तक रौनक का पिता था वह मामा बन गया। पंचायत का फरमान भले ही तुगलकी ओर दिलों को कभी न भरने वाले जख्म देने वाला था, लेकिन सामाजिक बहिष्कार के डर से उसे मानना सभी की मजबूरी थी। कविता के पति को भी सजा...
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बाबा इच्छाधारी देह का व्यापारी शिवमूर्त द्विवेदी खुद को साईं भक्त बताता था। उसने अपना नाम रखा था इच्छाधारी संत स्वामी भीमानंद जी महाराज चित्रकूट वाले। उसके सैंकड़ों भक्त थे, लेकिन साईं भक्ति व भगवा चोले की आड़ में वह देश का सबसे बड़ा सैक्स रैकेट चला रहा था। इच्छाधारी इस बाबा का नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ था। उसके रैकेट में 500 से ज्यादा स्कूली छात्राओं, मॉडल्स, छोटे पर्दे की कलाकारों, एयर होस्टेस से लेकर घरेलू महिलाएं तक थीं। र्ध्म की आड़ में वह करोड़ों की सम्पत्ति का वारिस बन गया। दूसरों को धर्म व नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाला खुद अनैतिकता में लिप्त था। कई नेताओं, पुलिस अधिकारियों व करोड़पतियों से उसके संबंध रहे। इच्छाधारी की जब पोल खुली तो दिल्ली पुलिस के अलावा उसके भक्त भी चौंक गए। वह आपराधिक पृष्ठभूमि का भी स्वामी था। (सम्पूर्ण कहानी मनोहर कहानियाँ के अप्रैल,2010 अंक में) कुछ हिस्सा... शॉम ढलने के साथ ही देश की राजधानी दिल्ली की रंगीनियां भी बढ़ जाती हैं। शॉपिंग माल्स, होटलों व सड़कों पर लंबी चमचमाती कारों का कापिफला भी सड़कों के सीने पर दौड़ता हुआ नजर आने लगता है। एक करोड़ की आबादी वाली रा...
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सानिया +शोएब: सरहदों ओर सवालों में उलझा रिश्ता सानिया मिर्जा व पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक का गुपचुप ढंग से पनपा रिश्ता किसी मुकाम पर पहुंचने से पहले ही सवालों ओर विवादों के चक्रव्यूह में उलझ चुका है। दोनों ही चर्चित हैं ओर कई कारणों से विवादित भी रह चुकेे हैं। सरहदों ने भी इस रिश्ते को उलझन में डाल दिया है। दो देशों के झुलसते रिश्तों के बीच मोहब्बत का तराना गुनगुनाने का दावा करने वाले सानिया-शोएब पर तिरछी नजरें हैं। क्योंकि इसकी गुंजाइश कम है कि इससे मुल्कों के रिश्तों में तल्खी फनां होकर मिठास पैदा होगी या पुराने जख्मों के निशां मिट जायेंगे, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री नवाज व पाक रेंजर डीजी मो. याकूब इसकी उम्मीद जता रहे हैं। निकाह के बाद सानिया दुबई में बसने की घोषणा कर चुकी है। हैदराबाद की ही शोएब की पूर्व कथित पत्नी आयसा सिद्दीकी इस वक्त सबसे बड़ी खलनायक बनकर उभरी हैं ओर लगातार गंभीर आरोप लगा रही हैं। शोएब के खिलाफ बंजारा हिल्स थाने में धारा-240,498 व 206 के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज करा दिया गया है जिनमें गिरफ्तारी संभव है। बेटी को इंसाफ दिलाने के लिये एम.ए. मलिक भी मैदान में हैं। शोए...