इज्जत ने बनाया बेटी की कोख का कातिल
उत्तर प्रदेश में मोहब्बत की दुश्मन कही जाने वाली जुर्म की पथरीली जमीन व प्रेमी युगलों को मारने के लिये बदनाम उत्तर प्रदेष में मु.नगर की सरजमीं पर मानव व दीपिका के बीच एक इंस्टीट्यूट में कोचिंग के दौरान पहले दोस्ती ओर फिर प्यार हो गया। अलग-अलग जाति के चलते परिजनों ने इसका विरोध किया, लेकिन दोनों ने विवाह कर लिया। इसके बाद दीपिका के परिजन उसके दुश्मन बन गए। उसे कड़े इम्तिहान के दौर से गुजरना पड़ा। एमबीए व एयर होस्टेज का कोर्स कर चुकी व एक मल्टीनेशनल कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी कर रही दीपिका की कोख में बीटेक/एमबीए कर चुके व एक्सपोर्ट हाउस में सर्विस कर रहे मानव की मोहब्बत की निशानी पल रही थी। दीपिका के परिजन उसे धोखे से अपने साथ ले गए। उन्होंने मानव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का मारपीट करके दबाव बनाया जब वह नहीं मानी, तो एक महिला चिकित्सक से मिलीभगत करके उसे गर्भपात कराने की दवा पिलाकर इंजेक्शन लगवाये गए। हकीकत का भान होते ही वह अस्पताल से भाग गई। मानव ने उसे एक संस्था की मदद से अस्पताल में भर्ती कराया। दो दिन में दीपिका ने बहुत कुछ देखा। अपना मायका, जहां वह पैदा हुई, कुदरत का निजाम, अपनी उजड़ती कोख। उसने सात माह के बच्चे को जन्म दिया, लेकिन वह मासूम कुछ घंटों में ही इस दुनिया से रूखसत हो गया। दीपिका व मानव नहीं समझ पाये कि उन्हें आखिर किस गुनाह की सजा मिली। (मनोहर कहानियाँ जुलाई,2010 अंक में प्रकाशित कथा के संपादित अंश) -’अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी दीपिका शून्य को निहार रही थी। दिल-ओ-दिमाग को झकझोर कर देने वाले हादसे से रू-ब-रू होने के बाद उसके लिये तो जैसे जिंदगी के मायने ही खत्म हो गए थे.....
नृशसता की हद हो चुकी है…………कब ये समाज सुधरेगा ……………समझ नही आता।
जवाब देंहटाएंकल (19/7/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा।
http://charchamanch.blogspot.com