निर्भया केस समाज को भी सबक जरूरी


-देवकी शर्मा
देश के बहुचर्चित व वीभत्स निर्भया दुराचार कांड में 5 मई, 2017 को सर्वाेच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के बाहुबली फैसले के साथ बेटी के दर्द को बेहद करीब से महसूस करने वाले पीड़िता के उन माता पिता की भी तारीफ होनी चाहिए जो इंसाफ की आस में टकटकी लगाये हौंसले व हिम्मत से दुश्वारियों के बीच डटे रहे। तीन जजों की बेंच जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण ने घृणित अपराध को न सिर्फ सदमे की सुनामी बताया. बल्कि कहां की इस मामले में कोई रियायत नहीं दी जा सकती। जिस तरह से अपराध हुआ है वह एक अलग दुनिया की कहानी लगती है।
 जो कुछ निर्भया के साथ हुआ वह किसी सभ्य समाज की हकीकत, तो नहीं था। यकीनन ऐसे फैसलों से बेटियों को शिकार बनाने वाले हैवानों में डर पैदा होगा. बलात्कार, छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न, महिला अत्याचार, लिंगभेद या फिर यौन शोषण चाहे जो नाम दीजिए महिलाओं व लड़कियों को ही इसका सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति हर किसी के लिए चिंताजनक है। बड़ा सवाल भी है कि ऐसे लोगों को तब अपनी मां, बहन और बेटी का ख्याल क्यों नहीं आता, जब वह किसी को अपनी हवस का शिकार बना रहे होते हैं। समाज को भी ऐसे लोगों को बहिष्कृत कर देना चाहिए। बेटियां यौन उत्पीड़न की शिकार होती हैं। नर भेड़िये उन्हें अपना शिकार बनाते हैं। घर से लेकर स्कूल, स्कूल से लेकर ट्यूशन तक उन्हें गंदी नजरों का शिकार होना पड़ता है। बेटियों वाले मातापिता चिंतित रहें, तो यह फिक्र की बात तो है ही, सामाजिक व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल भी। बेटियों की सुरक्षा और उनकी परवाह को लेकर समाज को जागरूक तो होना ही पड़ेगा, क्योंकि पुलिस और अदालत का काम अपराध घटित होने के बाद का होता है। उससे पहले ही बचाव और मानसिकता में बदलाव आये, तो ऐसी नौबत न आये। अदालत के फैसले को नजीर होते हैं। उसमें सबक है कि घिनौने अपराध करने वालों से सख्ती से निपटा जायेगा। ऐसे फैसलों से सबक लिया जाना चाहिए।

टिप्पणियाँ

  1. --पूरा मामला
    16 दिसंबर 2012 को 23 साल की फिजियोथेरेपी छात्रा अपने एक दोस्त के साथ फिल्म लाइफ ऑफ़ पाई देखने गई। रात साढ़े 9 बजे मुनिरका में वो एक चार्टर बस में सवार हुई। बस में सवार ड्राइवर समेत 6 लोग दरअसल मौज-मस्ती के इरादे से निकले थे। उनके पास उस रुट में बस चलाने का परमिट नहीं था। वो थोड़ी देर पहले भी बस में बढ़ई का काम करने वाले एक शख्स को बिठाकर लूट चुके थे। नाबालिग आरोपी ने निर्भया और उसके दोस्त को देखकर बस में बैठने के लिए आवाज़ लगाई, दोनों बस में सवार हो गए। बस उस वक़्त राम सिंह चला रहा था, उसने बस को बताए गए रास्ते से अलग दिशा में डाल दिया। निर्भया के दोस्त ने जब सवाल किया तो बाकी पांचों उनसे पूछने लगे कि दोनों साथ में क्यों घूम रहे हैं। सवाल पर एतराज़ करने पर उन्होंने दोस्त की जम कर पिटाई की और उसे बस में एक किनारे डाल दिया। इसके बाद वो लड़की को बस के पिछले हिस्से में ले गए। जहां सब ने बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया। जिस दौरान ड्राइवर राम सिंह ने बलात्कार किया। उस वक़्त उसका भाई मुकेश बस चलाता रहा।

    --निर्भया के साथ जानवरों से भी बदतर बर्ताव किया गया
    गैंगरेप की इस पूरी घटना के दौरान इन लोगों ने निर्भया के साथ जानवरों से भी बदतर बर्ताव किया। उसके गुप्तांग में लोहे का सरिया भी डाला गया। जिससे उसकी आंत बाहर निकल आई। शरीर के अंदरूनी हिस्सों को काफी नुकसान पहुंचा।रात 11 बजे उन्होंने निर्भया और उसके दोस्त को बस से धक्का दे दिया। राम सिंह ने निर्भया को कुचलने की भी कोशिश की लेकिन उसके दोस्त ने उसे किनारे कर के बचा लिया। उन्हें सड़क किनारे पड़ा देख कर कुछ लोगों ने पुलिस को फोन किया। निर्भया को बेहद गंभीर हालत में एम्स में भर्ती किया गया। उसके शरीर के अंदरूनी हिस्से जंग लगे लोहे की रॉड से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके थे। डॉक्टरों को उसकी आंत काट के निकालनी पड़ी। उसे बेहतर इलाज के लिए केंद्र सरकार के खर्चे पर सिंगापुर ले जाया गया। वहां 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गयी। दिल्ली पुलिस ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए 17 दिसंबर को बस को जब्त कर लिया। बस की पहचान में सड़क पर लगे सीसीटीवी कैमरे से काफी मदद मिली। बस में खून से सना रॉड और कई और फोरेंसिक सबूत मिले। निर्भया से लूटे गए फोन की लोकेशन से अपराधियों का पता लगाने में मदद मिली। राम सिंह और मुकेश को राजस्थान से पकड़ा गया। विनय और पवन दिल्ली में गिरफ्तार हुए। नाबालिग आरोपी आंनद विहार बस अड्डे पर पकड़ा गया। अक्षय की गिरफ्तारी बिहार के औरंगाबाद से हुई।

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

Thanks For Your Comments.